Monday, July 21, 2014

माँ की ममता

माँ की ममता सबसे ऊँची दुनिया इससे नीची,

एक बार खेल-खेल मे गुलेल है खींची,

जो माँ के आँखो के पास है भिंची,

माँ गुस्से मे बोली अगर आंख मे चला जाता,

मैं डर के बोला डॉक्टर के पास ले जाता,

फिर माँ बोली अगर आँख ही चला जाता,

मैं दुखी मन से बोला माँ मैं तेरी सेवा करता,

मैं मजाक मे बोला अगर माँ मेरी आँख चली जाती,

माँ हँस के बोली मैं अपनी आँख तुझे देती,

माँ की ममता सबसे ऊँची दुनिया इससे नीची !!


                   @@@पंकज@@@

बचपन की एक गलती

पिता जी के पर्स मे बिखरे नोट रहते थे खूब,

बचपन मे जब लगती थी भूख,

चोरी से निकलता था खूब,

घर पर बोलता मम्मी लगी नहीं भूख,

अब नौकरी करके कमाता हूँ खूब,

अब भी पिता जी के पर्स मे बिखरे नोट रहते है खूब,

पर्स मे चोरी से अब कुछ नोट रखता हूँ खूब,

अब उस गलती पर पश्चाताप करता हूँ खूब !



              @@पंकज@@

नेता

ये नेता नहीं, गद्दार है ।
सुनती नहीं पुकार है ॥

होता बलत्कार है ।
जनता शर्मशार है ॥

नौकरी की मारामार है । 
होता धाधली बाजार है ॥


ये सरकार बेकार है ।
सरकारी काम का रविवार है ॥

ये नेता नहीं, गद्दार है ।
सुनती नहीं पुकार है ॥